ईशस्तुतिः
🌺 यतो वाचो निवर्तन्ते अप्राप्य मनसा सह । आनन्द ब्रह्मणो विद्वान् न बिभेति कुतश्चन ॥
अर्थ - जो वाणी मन का साथ न पाकर लौट जाता है वह आनन्द स्वरूप ब्रह्म को जानने वाला किसी से भी नहीं डरता ।
🌺 असतो मा सद्गमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय । मृत्योर्मा अमृतं गमय ।
अर्थ - झूठ नहीं सत्य ( श्रेष्ठता ) प्रदान करो । अन्धकार नहीं प्रकाश प्रदान करो । मृत्यु नहीं अमरत्व प्रदान करो ।
🌺 एको देवः सर्वभूतेषु गूढः । सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा । कर्माध्यक्षः सर्वभूताविधवासः । साक्षी चेताः केवलो निर्गुणश्च ॥
अर्थ - एकमात्र देव ही सभी जीवों में छिपा हुआ है , वही सर्वव्यापी है , वही सभी जीवों को आत्मा है , वही सभी कर्मों पर नियंत्रण रखने वाला है , सभी वस्तुओं के भीतर वही स्थित है , सबों में वही चेतना स्वरूप है ।
🌺 त्वमादिदेवः पुरुषः पुराण : त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् । वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम ,त्वया ततं विश्वमनन्तरूप ॥
अर्थ - तुम ही आदि देव हो , तुम ही पुरातन पुरुष हो , तुम ही इस संसार के सबसे बड़े भण्डार हो , तुम ही सब कुछ जानने वाले हो और जानने योग्य हो , तुम ही आलोकमय स्थान हो , तुम्हारे द्वारा ही यह सम्पूर्ण संसार व्याप्त है ।
🌺 नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व । अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्व समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः ॥
अर्थ तुम्हें सामने से प्रणाम है इसके बाद पीछे से भी प्रणाम है , तुम्हें सभी ओर से प्रणाम हो । तुम अनन्त शक्तिमान हो , तुम ही अत्यन्त पराक्रमी हो , तुम सबको अपने आप में विलीन करते हो , सब कुछ तुम्हारे द्वारा ही व्याप्त है ।
प्रश्नोत्तर अभ्यासः ( मौखिकः )
1. एकपदेन उत्तर बदत
( क ) ईश्वरात् काः निवर्तन्ते ?
--- ईश्वरात् वाचः निवर्तन्ते ।
( ख ) केन सह ताः निवर्तन्ते ?
---मनसा सह ताः निवर्तन्ते ।
( ग ) ब्रह्मणः किं स्वरूपम् ?
-- ब्रह्मणः आनन्दं स्वरूपम् ।
( घ ) कः न बिभेति ?
---- आनन्दं ब्रह्मणः विद्वान न बिभेति ।
( ड़ ) तमसः कुत्र गन्तुमिच्छति ?
उत्तराणि- तमसः ज्योति गन्तुमिच्छति ।
2. एतानि पद्यानि एकपदेन मौखिकरूपेण पूरयत
(क) यतो वाच ----------!
( ख ) आनन्दं ब्रह्मणो---------- 1
( ग ) सर्वभूतेषु-------------!
( घ )केवलो -------------------!
( ङ ) त्वमस्य विश्वस्य परं--------------!
उत्तराणि- ( क ) निर्वतन्ते ( ख ) विद्वान् ( ग ) गूढः ( घ ) निगुर्णश्च ( ड़ ) निधानम् ।
3. एतेषां पदानाम् अर्थं वदत विद्वान् , गूढः बिभेति , कुतश्चन , ततम् ।
उत्तराणि - विद्वान् --- जानने वाला
4.स्वस्मृत्या काञ्चित् संस्कृतप्रार्थना श्रावयत । उत्तराणि - सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख : भाग भवेत ॥
अभ्यासः ( लिखितः )
1. सन्धिविच्छेदं कुरुत
( क ) कुतश्चन ( ख ) ज्योतिर्गमय ( घ ) नमोऽस्तु ( ग ) वेत्तासि ( 5 ) ततोऽति क्तिवाला ,
उत्तराणि- ( क ) कुतः + चन ( ग ) वेता + असि ( ङ ) ततः + असि ( घ ) तमम् ( ख ) ज्योतिः + गमय ( घ ) नमः + अस्तु करते हो
2. प्रकृति - प्रत्यय - विच्छेदं कुरुत
( क ) अप्राप्य ( ख ) विद्वान् ( ग ) गूढः ( अ ) वेद्यम्
उत्तराणि- ( क ) अप्राप्य -नञ् + प्र + आप् + ल्यप
( ख ) विद्वान् -विद् + शत
( ग ) गूढः -गुह् + क्त
( घ ) तमम्- तत् + क्त
( अ ) वेद्यम्- विद् + ण्यत्
3. समासविग्रह कुरुत
( क ) सर्वभूतेषु ( ख ) कर्माध्यक्षः ( ग ) आनन्तरूपः ( घ ) सर्वभूताधिवासः ( ङ ) अमितविक्रमः
उत्तराणि- ( क ) सर्वभूतेषु सर्वाणि भूतानि तेषु ( कर्मधारय समासः )
( ख ) कर्माध्यक्षः कर्मणाम् अध्यक्षः ( षष्टी तत्पुरुष ) ( ग ) अनन्तरूपः न अन्तरूपः ( नब समास )
( घ ) सर्वभूताधिवासः सर्वभूतानाम् अधिवासः ( षष्टी तत्पुरुष )
( ङ ) अमितविक्रमः अमितः विक्रमः ( कर्मधारय समास )
4. रिक्तस्थानि पूरयत ( क ) ................... मा सद्गमय ।
( ख ) तमसो मा ............ " गमय
( ग ) नमः .............दथ पृष्ठस्ते ।
( घ ) वेत्तासि ................च.............च धाम।
उत्तराणि- ( क ) असतो ( ख ) ज्योति
( ग ) पुरस्तात्
( घ ) वैधम् च परम् । नम् । च धाम ।
5. अधोनिर्दिष्टानां पदानां स्ववाक्येषु प्रयोगं कुरुत
( क) बिभेति ( ख ) निवर्तते ( ग ) वेत्ता ( घ ) सर्वतः (ङ ) नमः
उत्तराणि- ( क ) बिभेतिः- रामः सात् बिभेति ।
( ख ) निवर्तते सः गृहात् निवर्तते
(ग) ईश्वर :- वेत्ता अस्ति ।
( घ ) सर्वतः- विद्यालयं सर्वतः वृक्षाः सन्ति ।
( ङ ) नमः- श्री रामाय : नमः ।