इतिहास
मौर्यकाल
मेगस्थनीज की इण्डिका
डॉ. स्वानवेग ने सर्वप्रथम प्रकाशित किया। 1891 में मैक्रिण्डल ने अंग्रेजी में अनुवाद किया।
1. शासक का वर्णन
2. पाटलिपुत्र का वर्णन
3. सैन्य प्रशासन
4. नगर प्रशासन
5. राजस्व प्रशासन
6. उत्तरापथ का वर्णन
7. सोने की खान का वर्णन
विदेश लेखक
1. स्ट्रैबो - चन्द्रगुप्त एवं सेल्यूकश के मध्य वैवाहिक संबंध
2. प्लूटार्क - चन्द्रगुप्त का उल्लेख एण्ड्रोकोट्स
3. जस्टिन - चन्द्रगुप्त का उल्लेख सेण्ड्रोकोटस
जूनागढ़ अभिलेख
1. चन्द्रगुप्त मौर्य - पुष्यगुप्त वैश्य
2. अशोक - तुषास्फ (यवन)
3. रुद्रदामन - सुविशाख
4. स्कन्दगुप्त - पर्णदत्त और चक्रपालित
विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस बौद्ध ग्रंथ :
जैन ग्रंथ : परिशिष्टपर्वन क्षेमेन्द्रकृत वृहत्कथा मंजरी सोमदेव कृत कथासारित्सागर
__ अशोक का अभिलेख | 1837 ई. में जेम्स प्रिंसेप ने अशोक के दिल्ली-टोपरा अभिलेख को पढ़ा |
शिलालेख
स्तम्भलेख
गुहालेख
दीर्घ लघु शिलालेख
शिलालेख
लघु
दीर्घ स्तम्भलेख
स्तम्भलेख
अभिलेखों की भाषा प्राकृत है। ब्राह्मी, खरोष्ठी, आरमेइक एवं युनानी लिपियों में लिखे गये है।
शहबाजगढ़ी एवं मानसेहरा के अभिलेख - खरोष्ठी तक्षशिला से प्राप्त एक अभिलेख-आरमेइक लिपि शरेकुना (कंधार) से प्राप्त अभिलेख - यूनानी एवं आरमेइक लिपि लघमान (जलालाबाद) से प्राप्त अभिलेख - आरमेइक लिपि
| शिलालेख
यह 14 विभिन्न लेखों का एक समूह है जो 8 भिन्न-भिन्न स्थानों से प्राप्त हुए है। इन्हे चतुर्दश शिलालेख भी कहा जाता है
1. शहबाजगढ़ी
2. धौली
3. मानसेहरा
4. जौगढ़
5. कालसी
6. एगडि
7. गिरनार
8. सोपारा
धौली तथा जोगढ के शिलानेखों पर 11वें, 12वें व 13वें शिलालेख उत्कीर्ण नहीं किए गये है।
प्रथम लेख इस लेख में जीव हत्या पर निषेध दूसरा लेख मनुष्य एव पशुओं की चिकित्सा तीसरा लेख सभी जगह प्रादेशिक, रज्जुक और युक्त के साथ प्रति पांचवें वर्ष राज्य का दौरा चौथा लेख भेरी घोष, धम्म में बदल गया पांचवा लेख मैनें अपने अभिषेक के 14वें वर्ष 'धम्ममहामात्र' नामक अधिकारियों की नियुक्ति
छठा लेख प्रतिवेदक मुझे प्रजा के हाल से परिचित रखें।
सातवाँ लेख सहिष्णुता की भावना आठवाँ लेख 10वें वर्ष में धम्मयात्रा का प्रारम्भ नवाँ लेख दासों एवं सेवकों के प्रति शिष्ट व्यवहार दसवाँ लेख यश और कीर्ति की जगह धम्म का पालन
ग्यारहवाँ लेख धम्म जैसा कोई दान नहीं, धम्म जैसी कोई प्रशंसा नहीं बारहवाँ लेख सार की वृद्धि हो तेरहवाँ लेख प्रियदर्शी ने कलिंग पर विजय प्राप्त की
चौदहवाँ लेख प्रथम पृथक लेख : सब मनुष्य मेरी सन्तान के समान है द्वितीय पृथक लेख : सभी मनुष्य मेरी प्रजा
लघु शिलालेख
1. रुपनाथ - मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में
2. गुजर्रा - मध्यप्रदेश के दतिया जिले में
3. सहसाराम - बिहार के शाहाबाद जिले में
4. भाबू का बैराट - राजस्थान के जयपुर जिले में
5. मस्की - कर्नाटक के रायचूर जिले में
6. ब्रह्मागिरि - मैसूर के चित्तलदुर्ग जिलें में
7. सिद्धपुर- कर्नाटक में
8. जटिंगरामेश्वर - कर्नाटक में
9. एरंगुडि - आन्ध्र के कर्नूल जिलें मे
10. गोविमठ - मैसूर के कोपबल नामक स्थान से 11. पालकिगुण्डु - कर्नाटक
12. राजुलमण्डगिरि - आन्ध्र के कुर्नूल जिले में 13. अहरौरा - उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिले में 14. सारोमारो - शहडौल, मध्यप्रदेश 15. नेत्तूर - मैसूर 16. उडेगोलन - बैल्लारी, कर्नाटक
17. पनगुडरिया - सिहोर, मध्य प्रदेश
18. सन्नाती - गुलबर्गा, कर्नाटक
मास्की अभिलेख - बुद्ध शाक्य भाव या वैराट अभिलेख - अशोक का नाम प्रियदर्शी मिलता है। बौद्ध धर्म के त्रिरत्न-बुद्ध, धम्म तथा संघ का उल्लेख है। नेत्तूर एवं उडेगोलम् - इनमें अशोक नाम मिलता है। गुजर्रा - इनमें भी अशोक का नाम मिलता है। एर्रगुडि - इस अभिलेख में लिखने की शैली स्तम्भ लेख वृहद्स्तम्भ लेख - इन लेखों की संख्या 7 है, जो 6 भिन्न-भिन्न स्थानों में 1. दिल्ली मेरठ 3. लौरिया-अरराज 5. रामपुरवा 2. दिल्ली-टोपरा 4. लौरिया-नन्दगढ 6. प्रयाग
प्रथम लेख - मेरे सभी कर्मचारी धम्म का पालन करते है। द्वितीय लेख - इसमें धम्म क्या है? तृतीय लेख - अशोक अपने अभिलेख में निज्झति (आत्मपरीक्षण) कहता है। चतुर्थ लेख - मेरे रज्जुक लाखों व्यक्तियों से उपर नियुक्त है। पांचवा लेख - राज्याभिषेक के 26 वर्ष बाद विभिन्न प्रकार के प्राणियों का वध करना वर्जित है।
छठां लेख -
सातवाँ लेख - धम्म की वृद्धि हेतु
लघु स्तम्भ लेख : राजघोषणाएं खुदी है। 1. साँची लघुस्तम्भ लेख 2. सारनाथ लघुस्तम्भ लेख 3. कौशाम्बी स्तम्भ लेख - एक मात्र पुत्र (अभिलेखों में) तीवर का उल्लेख | इसे रानी का अभिलेख भी कहा जाता है। 4. रुम्मिनदेई स्तम्भ लेख - यह नेपाल की तराई में स्थित है। अशोक अपने राज्याभिषेक के 20 वें वर्ष यहाँ आया । इसे आर्थिक अभिलेख भी कहा जा सकता है। निग्लीवा या निगालि सागर स्तम्भ लेख - अपने राज्याभिषेक के 12वें वर्ष निगालि सागर आया
गुहा लेख अशोक ने बिहार के बाराबर पहाड़ी में अपने राज्याभिषेक के 12वें और 19वें वर्ष दो गुफाओं सुदामा गुफा और कर्ण चौपार गुफा का निर्माण करवाया। अशोक ने एक अन्य गुफा विश्वझोपड़ी का भी निमार्ण करवाया। अशोक के पौत्र दशरथ ने नागार्जुनी पहाड़ी पर गोपी, लोमर्षि एवं वडथिका गुफा का निर्माण करवाया। | इस गुहा लेखों की भाषा प्राकृत एवं लिपि ब्राह्मी है।
मौर्यकालीन अन्य अभिलेख 1. पानगोरारिया गुहालेख मध्यप्रदश के सिहोर जिले से इसमें अशोक को महाराजकुमार कहा गया है।
चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई.पू.)
चन्द्रगुप्त को वृषल कहा गया है। चन्द्रगुप्त मौर्य के विभिन्न नाम : 1. सैन्ड्रोकोट्स - स्ट्रैबो, एरियन एवं जस्टिन 2. एन्ड्रोकोटस - एप्पियानस और प्लूटार्क 3. सैन्ड्रोकोप्ट्स - नियार्कस प्रारम्भिक जीवन : चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को 1000 कार्षापण में खरीद लिया। चन्द्रगुप्त की उपलब्धियाँ : बौद्ध ग्रंथ महाबोधिवंश, जैन ग्रंथ पारिशिष्ट पर्वन सेल्यूकस से युद्ध - 303 ई.पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्युकस के बीच सन्धि : वैवाहिक संबंध का विस्तृत उल्लेख एप्पियानस ने किया | प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य ने भ सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिए।
1. एरिया (हरात)
2. अराकोशिया (कंधार) 3. जेड्रोशिया (कंधार) 4. पेरीपेनिषदाई (काबुल) सम्पूर्ण भारत की विजय जैन ग्रंथ 'राजावली कथा' में उल्लेख मिलता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य अपने पुत्र सिंहसेन को सिंहासन सौंपकर चन्द्रगिरि पर्वत (कर्नाटक) चला गया। बिन्दुसार या अमित्रचेट्स : अमित्रचेट्स या 'अमित्रघात' कहा है। सीरिया के शासक एण्टियोकस प्रथम ने 'डाइमेकस' नामक राजदूत को भेजा और निम्न वस्तुएं मांगी 1. अंगूरी मदिरा 2. अंजीर 3 दार्शनिक टॉल्मी द्वितीय फिलाडेल्फस ने 'डायनोसिस' नामक राजदूत बिन्दुसार के दरबार में भेजा | आजीवन सम्प्रदाय के पिंगलवत्स से बिन्दुसार के मधुर संबंध थे।
अशोक (273 ई.पू. - 232 ई.पू.)
राज्याभिषेक : अशोक 273 ई.पू. में गद्दी पर बैठा कलिंग विजय (261 ई.पू.) अशोक का धर्म परिवर्तन : कल्हण की राजतंरगिणी से पता चलता है। वह शैव धर्म का उपासक था। अपने भाई के पुत्र श्रमण को निग्रोध को भिक्षा के लिए जाते हुए देखा | उत्तर भारत की अनुश्रुतियों के अनुसार उपगुप्त ने अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया।
मौर्यकाल
मेगस्थनीज की इण्डिका
डॉ. स्वानवेग ने सर्वप्रथम प्रकाशित किया। 1891 में मैक्रिण्डल ने अंग्रेजी में अनुवाद किया। 1. शासक का वर्णन 2. पाटलिपुत्र का वर्णन 3. सैन्य प्रशासन 4. नगर प्रशासन 5. राजस्व प्रशासन 6. उत्तरापथ का वर्णन 7. सोने की खान का वर्णन
विदेश लेखक
1. स्ट्रैबो - चन्द्रगुप्त एवं सेल्यूकश के मध्य वैवाहिक संबंध 2. प्लूटार्क - चन्द्रगुप्त का उल्लेख एण्ड्रोकोट्स 3. जस्टिन - चन्द्रगुप्त का उल्लेख सेण्ड्रोकोटस जूनागढ़ अभिलेख 1. चन्द्रगुप्त मौर्य - पुष्यगुप्त वैश्य 2. अशोक - तुषास्फ (यवन) 3. रुद्रदामन - सुविशाख 4. स्कन्दगुप्त - पर्णदत्त और चक्रपालित
विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस बौद्ध ग्रंथ :
जैन ग्रंथ : परिशिष्टपर्वन क्षेमेन्द्रकृत वृहत्कथा मंजरी सोमदेव कृत कथासारित्सागर
__ अशोक का अभिलेख | 1837 ई. में जेम्स प्रिंसेप ने अशोक के दिल्ली-टोपरा अभिलेख को पढ़ा |
शिलालेख
स्तम्भलेख
गुहालेख
दीर्घ
लघु शिलालेख
शिलालेख
लघु
दीर्घ स्तम्भलेख
स्तम्भलेख
अभिलेखों की भाषा प्राकृत है। ब्राह्मी, खरोष्ठी, आरमेइक एवं युनानी लिपियों में लिखे गये है।
शहबाजगढ़ी एवं मानसेहरा के अभिलेख - खरोष्ठी तक्षशिला से प्राप्त एक अभिलेख-आरमेइक लिपि शरेकुना (कंधार) से प्राप्त अभिलेख - यूनानी एवं आरमेइक लिपि लघमान (जलालाबाद) से प्राप्त अभिलेख - आरमेइक लिपि
| शिलालेख
यह 14 विभिन्न लेखों का एक समूह है जो 8 भिन्न-भिन्न स्थानों से प्राप्त हुए है। इन्हे चतुर्दश शिलालेख भी कहा जाता है
1. शहबाजगढ़ी 5. धौली 2. मानसेहरा 6. जौगढ़ 3. कालसी 7. एगडि 4. गिरनार
8. सोपारा धौली तथा जोगढ के शिलानेखों पर 11वें, 12वें व 13वें शिलालेख उत्कीर्ण नहीं किए गये है।
प्रथम लेख इस लेख में जीव हत्या पर निषेध दूसरा लेख मनुष्य एव पशुओं की चिकित्सा तीसरा लेख सभी जगह प्रादेशिक, रज्जुक और युक्त के साथ प्रति पांचवें वर्ष राज्य का दौरा चौथा लेख भेरी घोष, धम्म में बदल गया पांचवा लेख मैनें अपने अभिषेक के 14वें वर्ष 'धम्ममहामात्र' नामक अधिकारियों की नियुक्ति
छठा लेख प्रतिवेदक मुझे प्रजा के हाल से परिचित रखें।
सातवाँ लेख सहिष्णुता की भावना आठवाँ लेख 10वें वर्ष में धम्मयात्रा का प्रारम्भ नवाँ लेख दासों एवं सेवकों के प्रति शिष्ट व्यवहार दसवाँ लेख यश और कीर्ति की जगह धम्म का पालन
ग्यारहवाँ लेख धम्म जैसा कोई दान नहीं, धम्म जैसी कोई प्रशंसा नहीं बारहवाँ लेख सार की वृद्धि हो तेरहवाँ लेख प्रियदर्शी ने कलिंग पर विजय प्राप्त की
चौदहवाँ लेख प्रथम पृथक लेख : सब मनुष्य मेरी सन्तान के समान है द्वितीय पृथक लेख : सभी मनुष्य मेरी प्रजा
लघु शिलालेख
1. रुपनाथ - मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में 2. गुजर्रा - मध्यप्रदेश के दतिया जिले में 3. सहसाराम - बिहार के शाहाबाद जिले में 4. भाबू का बैराट - राजस्थान के जयपुर जिले में 5. मस्की - कर्नाटक के रायचूर जिले में 6. ब्रह्मागिरि - मैसूर के चित्तलदुर्ग जिलें में 7. सिद्धपुर- कर्नाटक में 8. जटिंगरामेश्वर - कर्नाटक में
9. एरंगुडि - आन्ध्र के कर्नूल जिलें मे 10. गोविमठ - मैसूर के कोपबल नामक स्थान से 11. पालकिगुण्डु - कर्नाटक 12. राजुलमण्डगिरि - आन्ध्र के कुर्नूल जिले में 13. अहरौरा - उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिले में 14. सारोमारो - शहडौल, मध्यप्रदेश 15. नेत्तूर - मैसूर 16. उडेगोलन - बैल्लारी, कर्नाटक 17. पनगुडरिया - सिहोर, मध्य प्रदेश 18. सन्नाती - गुलबर्गा, कर्नाटक
मास्की अभिलेख - बुद्ध शाक्य भाव या वैराट अभिलेख - अशोक का नाम प्रियदर्शी मिलता है। बौद्ध धर्म के त्रिरत्न-बुद्ध, धम्म तथा संघ का उल्लेख है। नेत्तूर एवं उडेगोलम् - इनमें अशोक नाम मिलता है। गुजर्रा - इनमें भी अशोक का नाम मिलता है। एर्रगुडि - इस अभिलेख में लिखने की शैली स्तम्भ लेख वृहद्स्तम्भ लेख - इन लेखों की संख्या 7 है, जो 6 भिन्न-भिन्न स्थानों में 1. दिल्ली मेरठ 3. लौरिया-अरराज 5. रामपुरवा 2. दिल्ली-टोपरा 4. लौरिया-नन्दगढ 6. प्रयाग
प्रथम लेख - मेरे सभी कर्मचारी धम्म का पालन करते है। द्वितीय लेख - इसमें धम्म क्या है? तृतीय लेख - अशोक अपने अभिलेख में निज्झति (आत्मपरीक्षण) कहता है। चतुर्थ लेख - मेरे रज्जुक लाखों व्यक्तियों से उपर नियुक्त है। पांचवा लेख - राज्याभिषेक के 26 वर्ष बाद विभिन्न प्रकार के प्राणियों का वध करना वर्जित है।
छठां लेख -
सातवाँ लेख - धम्म की वृद्धि हेतु
लघु स्तम्भ लेख : राजघोषणाएं खुदी है। 1. साँची लघुस्तम्भ लेख 2. सारनाथ लघुस्तम्भ लेख 3. कौशाम्बी स्तम्भ लेख - एक मात्र पुत्र (अभिलेखों में) तीवर का उल्लेख | इसे रानी का अभिलेख भी कहा जाता है। 4. रुम्मिनदेई स्तम्भ लेख - यह नेपाल की तराई में स्थित है। अशोक अपने राज्याभिषेक के 20 वें वर्ष यहाँ आया । इसे आर्थिक अभिलेख भी कहा जा सकता है। निग्लीवा या निगालि सागर स्तम्भ लेख - अपने राज्याभिषेक के 12वें वर्ष निगालि सागर आया
गुहा लेख अशोक ने बिहार के बाराबर पहाड़ी में अपने राज्याभिषेक के 12वें और 19वें वर्ष दो गुफाओं सुदामा गुफा और कर्ण चौपार गुफा का निर्माण करवाया। अशोक ने एक अन्य गुफा विश्वझोपड़ी का भी निमार्ण करवाया। अशोक के पौत्र दशरथ ने नागार्जुनी पहाड़ी पर गोपी, लोमर्षि एवं वडथिका गुफा का निर्माण करवाया। | इस गुहा लेखों की भाषा प्राकृत एवं लिपि ब्राह्मी है।
मौर्यकालीन अन्य अभिलेख 1. पानगोरारिया गुहालेख मध्यप्रदश के सिहोर जिले से इसमें अशोक को महाराजकुमार कहा गया है।
चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई.पू.)
चन्द्रगुप्त को वृषल कहा गया है। चन्द्रगुप्त मौर्य के विभिन्न नाम : 1. सैन्ड्रोकोट्स - स्ट्रैबो, एरियन एवं जस्टिन 2. एन्ड्रोकोटस - एप्पियानस और प्लूटार्क 3. सैन्ड्रोकोप्ट्स - नियार्कस प्रारम्भिक जीवन : चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को 1000 कार्षापण में खरीद लिया। चन्द्रगुप्त की उपलब्धियाँ : बौद्ध ग्रंथ महाबोधिवंश, जैन ग्रंथ पारिशिष्ट पर्वन सेल्यूकस से युद्ध - 303 ई.पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्युकस के बीच सन्धि : वैवाहिक संबंध का विस्तृत उल्लेख एप्पियानस ने किया | प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य ने भ सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिए।
1. एरिया (हरात)
2. अराकोशिया (कंधार) 3. जेड्रोशिया (कंधार) 4. पेरीपेनिषदाई (काबुल) सम्पूर्ण भारत की विजय जैन ग्रंथ 'राजावली कथा' में उल्लेख मिलता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य अपने पुत्र सिंहसेन को सिंहासन सौंपकर चन्द्रगिरि पर्वत (कर्नाटक) चला गया। बिन्दुसार या अमित्रचेट्स : अमित्रचेट्स या 'अमित्रघात' कहा है। सीरिया के शासक एण्टियोकस प्रथम ने 'डाइमेकस' नामक राजदूत को भेजा और निम्न वस्तुएं मांगी 1. अंगूरी मदिरा 2. अंजीर 3 दार्शनिक टॉल्मी द्वितीय फिलाडेल्फस ने 'डायनोसिस' नामक राजदूत बिन्दुसार के दरबार में भेजा | आजीवन सम्प्रदाय के पिंगलवत्स से बिन्दुसार के मधुर संबंध थे।
अशोक (273 ई.पू. - 232 ई.पू.)
राज्याभिषेक : अशोक 273 ई.पू. में गद्दी पर बैठा कलिंग विजय (261 ई.पू.) अशोक का धर्म परिवर्तन : कल्हण की राजतंरगिणी से पता चलता है। वह शैव धर्म का उपासक था। अपने भाई के पुत्र श्रमण को निग्रोध को भिक्षा के लिए जाते हुए देखा | उत्तर भारत की अनुश्रुतियों के अनुसार उपगुप्त ने अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया।