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विषय के रूप में भूगोल का स्वरूप


प्रस्तावित पाठ का उद्देश्य विषय के स्वरूप की व्याख्या करना है । यह भूगोल के महत्व पर प्रकाश डालता है तथा एक विषय के रूप में भूगोल की प्रकृति का वर्णन करता है । यह ज्ञान को विस्तृत करने का प्रयास करता है और आधारभूत संकल्पनाओं के साथ - साथ तकनीकी शब्दों की व्याख्या करता है , जो भौगोलिक ज्ञान के घटक हैं । इसके अलावा अवधारणाओं को क्रमबद्ध व व्यवस्थित व्यवहारों में विकसित करने का प्रयास करता है और विषय की रोचकता को बढ़ाता है । भूगोल एक प्राचीनतम भू - विज्ञान है और इसकी नींव प्रारंभिक यूनानी विद्वानों के कार्यों में दिखाई पड़ती है । भूगोल शब्द का प्रथम प्रयोग यूनानी विद्वान इरेटॉस्थनीज ने • तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में किया था Geo " पृथ्वी और Graphy " वर्णन करना " भूगोल का शाब्दिक अर्थ है , जो पृथ्वी के धरातलीय सतहों का वर्णन करता है । दूसरे शब्दों में " भूगोल विस्तृत पैमाने पर सभी भौतिक व मानवीय तथ्यों की अन्तर्क्रियाओं और इन अन्तर्क्रियाओं से उत्पन्न स्थलरूपों का अध्ययन करता है । " यह बताता है कि कैसे , क्यों और कहाँ मानवीय व प्राकृतिक क्रियाकलापों का उद्भव होता है और कैसे ये क्रियाकलाप एक दूसरे से अन्तर्संबंधित हैं । भूगोल की अध्ययन विधि परिवर्तित होती रही है । प्रारंभिक विद्वान वर्णनात्मक भूगोलवेत्ता थे बाद में , भूगोल विश्लेषणात्मक भूगोल के रूप में विकसित हुआ । आज यह विषय न केवल वर्णन करता है , बल्कि विश्लेषण के साथ - साथ भविष्यवाणी भी करता है । इस पाठ में आप दैनिक जीवन में भूगोल के महत्व के बारे में सीख सकेंगे । यह अध्ययन आपको अपने स्थान के बारे में बड़ी रोचकता से समझने के लिए प्रोत्साहित करेगा । 

1.1 दैनिक जीवन में भूगोल 

आपने अवश्य ध्यान दिया होगा कि पृथ्वी की सतह पर लगातार परिवर्तन हो रहा है । सामान्यतः प्राकृतिक तत्वों जैसे पर्वतों , नदियों , झीलों आदि में धीरे - धीरे परिवर्तन होता है जबकि सांस्कृतिक तत्वों जैसे भवनों , सड़कों , फसलों आदि में तेजी से परिवर्तन होता है । एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रा करते समय आप महसूस करते होंगे कि वृक्षों की संख्या व प्रकार एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में परिवर्तित हो रहे हैं । यह सब पर्यावरण , जिसमें कि हम रहते तथा उसका प्रयोग करते हैं , की लगातार अन्तर्क्रियाओं के फलस्वरूप हो रहा है । भूगोल इस प्रकार के प्रतिरूपों का अध्ययन करता है । भूगोल का एक अन्य पक्ष क्षेत्रीय विभिन्नता के कारकों या कारणों को समझने में है कि किस प्रकार सामाजिक , सांस्कृतिक , आर्थिक और जनांकिकी कारक भौतिक स्थलरूप को परिवर्तित कर रहे है और मानवीय हस्तक्षेप के फलस्वरूप नवीन स्थलरूपों का निर्माण हो रहा है । उदाहरण के लिए मानव , वन या बंजर भूमि का प्रयोग मानवीय अधिवास के रूप में कर रहा है । भूगोल को प्रायः मानचित्र निर्माण और अध्ययन की कला के रूप में जाना जाता है । मानचित्र हमें रेखाचित्रों की अपेक्षा पृथ्वी के धरातल का अधिक सही व सुस्पष्ट चित्रण प्रस्तुत करते है । पूर्व की भाँति आज भी किसी क्षेत्र का भौगोलिक विवरण रिपोर्टों यात्रा डायरियों और गजेटियरों में उपलब्ध है । वर्तमान में मानचित्र की रचना भौगोलिक सूचना तंत्र ( जी.आई.एस. ) के उपकरणों द्वारा उपग्रह छायाचित्रों के प्रयोग से किया जा सकता है । कम्प्यूटर सरलता से उपग्रह छायाचित्रों की सूचनाओं को मानचित्र में परिवर्तित कर देते हैं जो विकास में हुए परिवर्तनों का दर्शाते हैं । इस प्रकार की सूचना से समाज को लाभ होता है । वर्तमान में इस प्रकार के मानचित्रकारों की बड़ी माँग है । आजकल , पृथ्वी को बेहतर ढंग से समझने के लिए भूगोलवेत्ता , अभियंता , पर्यावरण वैज्ञानिक , नगर योजनाकार , सामाजिक वैज्ञानिक तथा अन्य लोग भी भौगोलिक सूचना तंत्रों का प्रयोग सीख रहे हैं ।
       भूगोल न केवल इस बात की खोज करता है कि पृथ्वी पर कहाँ क्या है बल्कि यह भी कि यहाँ क्यों है ? भूगोलवेत्ता क्रियाकलापों की अवस्थिति का अध्ययन करते हैं मानचित्रों के सावधानीपूर्वक प्रयोग से प्रतिरूपों की पहचान और साथ इन प्रतिरूपों के बनने के कारणों का पता लगाते है । इसके बाद क्षेत्रों का वर्णन स्थलरूपों के वितरण , जनसंख्या , मकानों के प्रकार और कृषि के आधार पर किया जाता है । वे स्थानों के बीच के सम्बंधों और आवागमन की जानकारी प्राप्त करते है तथा उस क्षेत्र में होने वाली स्थानिक प्रक्रियाओं के विषय में निष्कर्ष निकालते है । वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व खाद्य सुरक्षा स्वास्थ्य , उर्जा के प्रभावकारी उपयोग और पर्यावरण संरक्षण जैसी समस्याओं से जूझ रहा है । समानता के मुद्दे और टिकाऊ विकास भी समान महत्व रखते है । इन सभी की प्राप्ति संसाधनों के सतत् रूप में प्रयोग द्वारा ही की जा सकती है । पर्यावरणीय प्रक्रियाओं के बारे में अधिक जानकारी तथा यह समझने में कि समस्याओं के समाधान में भूमि उपयोग योजना किस प्रकार सहायक हो सकती है , भूगोल का अध्ययन आवश्यक है । 

संक्षेप में : 
1. भूगोल स्थान का विज्ञान है । 
2 . मानचित्र भूगोलवेत्ताओं के लिए आवश्यक उपकरण है ।
 3 . मानचित्रों को बनाने के लिए अंकीय भौगोलिक सूचना तंत्र नये उपकरण है ।
 4. भूगोल के अध्ययन और मानचित्रों के उपयोग से स्थानिक योजना बनाई जा सकती है ।
 

 आधारभूत संकल्पनाएँ 

इतिहास के भिन्न कालों में भूगोल को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया गया है । प्राचीन यूनानी विद्वानों ने भौगोलिक धारणाओं को दो पक्षों में रखा था । प्रथम गणितीय पक्ष , जो कि पृथ्वी की सतह पर स्थानों की अवस्थिति को केन्द्रित करता था तथा दूसरा यात्राओं और क्षेत्रीय कार्यों द्वारा भौगोलिक सूचनाओं को एकत्र करता था । इनके अनुसार , भूगोल का मुख्य उद्देश्य विश्व के विभिन्न भागों की भौतिक आकृतियों और दशाओं का वर्णन करना है । भूगोल में प्रादेशिक उपागम का उद्भव भी भूगोल की वर्णनात्मक प्रकृति पर बल देता है । हम्बोल्ट के अनुसार , भूगोल प्रकृति से सम्बंधित विज्ञान है और यह पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी साधनों का अध्ययन व वर्णन करता अन्य महत्वपूर्ण विचारकों ने भूगोल को मानव पर्यावरण अन्तर्सम्बन्धों के रूप में परिभाषित किया है ।
 ● भूगोल पृथ्वी तल के अध्ययन के रूप में । भूगोल मानव पर्यावरण अन्तर्सम्बन्धों के अध्ययन के रूप में ।